"सब तंत्रों से भी बढ़कर है "जनतंत्र " यह सबित हो गया !!" "सब तंत्रों से भी बढ़कर है "जनतंत्र " यह सबित हो गया !!"
वापसी पर वापसी पर
अब सूरज बनकर चमकेगी वो आज एक नारी सब पर भारी है, क्योंकि ये आज की नारी है। अब सूरज बनकर चमकेगी वो आज एक नारी सब पर भारी है, क्योंकि ये आज की नारी है।
नहीं देते हैं तो निवाला छीनते हैं। नहीं देते हैं तो निवाला छीनते हैं।
आज की नारी है और सब पर भारी है। आज की नारी है और सब पर भारी है।
कभी हल्का तो कभी पड़ा किसी पर भारी अब छूट गई दुनियादारी। कभी हल्का तो कभी पड़ा किसी पर भारी अब छूट गई दुनियादारी।